
बेमेतरा : दीपक महिलांग – आत्मनिर्भरता की ओर एक सशक्त कदम
अन्य दिव्यांगों को भी मिले सहायक उपकरण
बेमेतरा
ग्राम मारो, नवागढ़ विकासखंड — “अब मैं किसी पर निर्भर नहीं हूँ, मैं अपने कार्य खुद कर सकता हूँ।” ये शब्द हैं, श्री दीपक महिलांग के, जो 90% दिव्यांगता के बावजूद आज आत्मनिर्भर जीवन की ओर अग्रसर हैं। यह बदलाव संभव हो सका है, सुशासन तिहार 2025 के तहत समाज कल्याण विभाग द्वारा प्रदत्त बैटरी चालित ट्रायसायकल की मदद से।
दीपक महिलांग एक ग्रामीण परिवेश से हैं, जहाँ परिवहन की सीमित सुविधाएँ दिव्यांगजनों के लिए बड़ी बाधा बनती थीं। लेकिन जैसे ही उन्हें ट्रायसायकल प्राप्त हुआ, उनके जीवन की दिशा ही बदल गई। अब वे स्वतंत्र रूप से घर से बाहर आ-जा सकते हैं, छोटे-मोटे काम कर सकते हैं और सामाजिक गतिविधियों में भी भाग ले पा रहे हैं। उन्होंने बताया, “पहले हर जगह जाने के लिए किसी न किसी पर निर्भर रहना पड़ता था। अब मैं खुद बाजार जा सकता हूँ, पंचायत बैठकों में शामिल हो सकता हूँ।”
दीपक समाज कल्याण की योजना के तहत आर्थिक सहायता भी मिल रही है, जिससे उनकी मासिक आवश्यकताएँ पूरी हो जाती हैं। यह उनके लिए न केवल आर्थिक बल्कि मानसिक संबल भी है। विभागीय जानकारी के अनुसार, बेरला विकासखंड के ग्राम केशतरा निवासी श्री नंदलाल महाकुर (100% दिव्यांगता), ग्राम सोढ़ निवासी श्री मिलन कुमार घीवर (40% दिव्यांगता), ग्राम केशतरा के श्री नवलदास महाकुर (85% दिव्यांगता) और ग्राम रवेली के श्री संतोष साहू (80% दिव्यांगता) को सहायक उपकरण प्रदान किए गए हैं। इन लाभार्थियों को उनकी आवश्यकता अनुसार बैटरी चालित ट्रायसायकल, सामान्य ट्रायसायकल और व्हीलचेयर का वितरण किया गया है।
इन सभी दिव्यांगों को प्रतिमाह सामाजिक सहायता कार्यक्रम योजना के अंतर्गत निशक्त पेंशन योजना द्वारा प्रतिमाह लाभाविंत किया जा रहा है।
समाज कल्याण विभाग के उप संचालक ने बताया कि सुशासन तिहार के तहत जनहित में प्राप्त आवेदनों का त्वरित निराकरण कर पात्र हितग्राहियों को सहायता प्रदान की जा रही है। विभाग का प्रयास है कि किसी भी पात्र व्यक्ति को योजनाओं से वंचित न रहना पड़े।
उनकी यह कहानी इस बात का प्रतीक है कि यदि सरकार की योजनाएँ सही समय पर पात्र व्यक्ति तक पहुँचें, तो वे किसी के जीवन में वास्तविक परिवर्तन ला सकती हैं।
सुशासन तिहार के अंतर्गत ऐसे ही कई दिव्यांगजनों को न केवल उपकरण मिले, बल्कि उन्हें समाज में सम्मान के साथ जीने का हक भी मिला।दीपक महिलांग आज सिर्फ एक लाभार्थी नहीं, बल्कि सुशासन की सफलता के प्रतीक बन चुके हैं — एक ऐसी मिसाल जो यह दिखाती है कि संवेदनशील प्रशासन और त्वरित सेवा मिलकर समाज के सबसे कमजोर वर्गों को भी सशक्त बना सकते हैं। छत्तीसगढ़ शासन संवेदनशील है जहां बदलाव निश्चित है।”